तिरंगा

                       तिरंगा 

तिरंगे में समाई है शहीदों की कल्पनाएं ।

गौर से देखो इसमें तो पाओगे बिलखती हुई कई मांऐ।

इसमें सुहागिनों का सिंदूर दमकता है।

 कई रंगों की राखियों का नूर झलकता है।

पिता का गर्व से उठा मस्तक नजर आता है ।

 ये यूं ही नहीं गगन में फहराता, कहीं धूमिल ना हो जाए शहीदों की कल्पनाएं।

गौर से देखो इसे तो पाओगे बिलखती हुई कई माऐ। तिरंगे में समाई है शहीदों की कल्पनाएं।

किसी जाति मजहब का नाम ना दो  इसे यारों।

 ये प्राण है भारत का इसे प्रण से संभालो।

कलह तजो सुहार्द बढ़ाओ गिरो न इतने भाई।

कई कीमते दी है हमने तब आजादी पाई।

झंडा ऊंचा रहे हमारा आओ मिलकर गाए।

तिरंगे में समाई है शहीदों की कल्पनाएं। गौर से देखो तो पाओगे कई बिलखती हुई माऐ।

मां भारती का परिधान तिरंगा है, हमारी आन तिरंगा है, हमारी शान तिरंगा है।

करो बंदन नमन इसको , समाई है शहीदों की कल्पनाएं ।

गौर से देखो इसे तो पाओगे कई बिलखती हुई माऐ, तिरंगे में समाई है शहीदों की कल्पनाएं।

     कवि  - गया प्रसादराजपूत 
                           सेमई


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