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नागपंचमी के बारे में जाने


नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दूपंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है।[1]
नाग पंचमी
Snake in basket.jpg
नाग पंचमी व्रत

नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गायबैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है।-
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥ (भविष्योत्तरपुराण – ३२-२-७)
(अर्थ: वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कार्कोटक और धनंजय - ये प्राणियों को अभय प्रदान करते हैं।)
आज के पावन पर्व पर वाराणसी ( काशी) में नाग कुआँ नामक स्थान पर बहुत बड़ा मेला लगता है, किंवदन्ति है कि इस स्थान पर तक्षक गरूड़ जी के भय से बालक रूप में काशी संस्कृत की शिक्षा लेने हेतु आये,परन्तु गरूड़ जी को इसकी जानकारी हो गयी,और उन्होंने तक्षक पर हमला कर दिया, परन्तु अपने गुरू जी के प्रभाव से गरूड़ जी ने तक्षक नाग को अभय दान कर दिया, उसी समय से यहाँ नाग पंचमी के दिन से यहाँ नाग पूजा की जाती है,यह मान्यता है, कि जो भी नाग पंचमी के दिन यहाँ पूजा अर्चना कर नाग कुआँ का दर्शन करता है, उसकी जन्मकुन्डली के सर्प दोष का निवारण हो जाता है।

संस्कृतिसंपादित करें

हिन्दू संस्कृति ने पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोड़ने का प्रयत्न किया है। हमारे यहां गाय की पूजा होती है। कई बहनें कोकिला-व्रत करती हैं। कोयल के दर्शन हो अथवा उसका स्वर कान पर पड़े तब ही भोजन लेना, ऐसा यह व्रत है। हमारे यहाँ वृषभोत्सव के दिन बैल का पूजन किया जाता है। वट-सावित्री जैसे व्रत में बरगद की पूजा होती है, परन्तु नाग पंचमी जैसे दिन नाग का पूजन जब हम करते हैं, तब तो हमारी संस्कृति की विशिष्टता पराकाष्टा पर पहुंच जाती है।
गाय, बैल, कोयल इत्यादि का पूजन करके उनके साथ आत्मीयता साधने का हम प्रयत्न करते हैं, क्योंकि वे उपयोगी हैं। लेकिन नाग हमारे किस उपयोग में आता है, उल्टे यदि काटे तो जान लिए बिना न रहे। हम सब उससे डरते हैं। नाग के इस डर से नागपूजा शुरू हुई होगी, ऐसा कई लोग मानते हैं, परन्तु यह मान्यता हमारी संस्कृति से सुसंगत नहीं लगती।
नाग को देव के रूप में स्वीकार करने में आर्यों के हृदय की विशालता का हमें दर्शन होता है। 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्‌' इस गर्जना के साथ आगे बढ़ते हुए आर्यों को भिन्न-भिन्न उपासना करते हुए अनेक समूहों के संपर्क में आना पड़ा। वेदों के प्रभावी विचार उनके पास पहुँचाने के लिए आर्यों को अत्यधिक परिश्रम करना पड़ा।
विभिन्न समूहों को उपासना विधि में रहे फर्क के कारण होने वाले विवाद को यदि निकाल दिया जाए तो मानव मात्र वेदों के तेजस्वी और भव्य विचारों को स्वीकार करेगा, इस पर आर्यों की अखण्ड श्रद्धा थी। इसको सफल बनाने के लिए आर्यों ने अलग-अलग पुंजों में चलती विभिन्न देवताओं की पूजा को स्वीकार किया और अलग-अलग पुंजों को उन्होंने आत्मसात करके अपने में मिला लिया। इन विभिन्न पूजाओं को स्वीकार करने के कारण ही हमें नागपूजा प्राप्त हुई होगी, ऐसा लगता है।

विधिसंपादित करें

  • प्रातः उठकर घर की सफाई कर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएँ।
  • पश्चात स्नान कर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजन के लिए सेंवई-चावल आदि ताजा भोजन बनाएँ। कुछ भागों में नागपंचमी से एक दिन भोजन बना कर रख लिया जाता है और नागपंचमी के दिन बासी खाना खाया जाता है।
  • इसके बाद दीवाल पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है। फिर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे गेरू पुती दीवाल पर घर जैसा बनाते हैं और उसमें अनेक नागदेवों की आकृति बनाते हैं।
  • कुछ जगहों पर सोने, चांदी, काठ व मिट्टी की कलम तथा हल्दी व चंदन की स्याही से अथवा गोबर से घर के मुख्य दरवाजे के दोनों बगलों में पाँच फन वाले नागदेव अंकित कर पूजते हैं।
  • सर्वप्रथम नागों की बांबी में एक कटोरी दूध चढ़ा आते हैं।
  • और फिर दीवाल पर बनाए गए नागदेवता की दधि, दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, कच्चा दूध, रोली और चावल आदि से पूजन कर सेंवई व मिष्ठान से उनका भोग लगाते हैं।
  • पश्चात आरती कर कथा श्रवण करना चाहिए।
पूरे श्रावण माह विशेष कर नागपंचमी को धरती खोदना निषिद्ध है। इस दिन व्रत करके सांपों को खीर खिलाई व दूध पिलाया जाता है। कहीं-कहीं सावन माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन सफेद कमल पूजा में रखा जाता है।


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