द रूल्स ऑफ द रोड
उस सज्जन ने बहस करते हुए कहा आप वास्तव में स्वतंत्र हैं। दूसरे व्यक्ति ने कहा पर आपको मालूम होना चाहिए कि जहां मेरी स्वतंत्रता आरंभ होती है वहां आपकी स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है।
यह कहानी हमें बताती है कि हम अपने अधिकारों और स्वतंत्रताओं का उपयोग उसी सीमा तक कर सकते हैं जब तक वह दूसरे लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता में बाधा ना डालें।
वास्तव मे हममें से बहुत कम ऐसे लोग होंगे जो कहानी के उस सज्जन व्यक्ति के समान यह तर्क देंगे कि हमको भीड़भाड़ वाली सड़क पर अपनी छड़ी को इधर-उधर घुमाते हुए जाने का अधिकार है निश्चित रूप से हम जानबूझकर दूसरे लोगों की स्वतंत्रता में बाधा नहीं डालते पर कभी-कभी हम अनजाने ही दूसरे लोगों के रास्ते में आ जाते हैं अर्थात दूसरे लोगों के काम में बाधा डालते हैं। यह तब होता है जब हम बिना सोच-विचार की कोई काम करते हैं या हम उन नियमों का पालन नहीं करते जिनका पालन हमें करना चाहिए।
यहां कुछ ऐसे कार्यों का वर्णन किया गया है जिनको हम दूसरे लोगों की सुविधा का विचार किए बिना करते हैं। किसी भीड़ भाड़ वाली गली के किसी मकान में किसी का विवाह हो रहा है । अचानक एक सुबह उस घर के बाहर लगाए हुए लाउडस्पीकर से तेज आवाज में संगीत बजने लगता है और यह संगीत दो-तीन दिन तक लगातार चलता रहता है। समीप के मकान में रोगी शांति से सो नहीं पाते परीक्षाओं के लिए तैयारी करने वाले विद्यार्थी पढ़ नहीं पाते और प्रत्येक व्यक्ति संगीत को सुनने के लिए बाध्य हो जाता है। जिस घर में विवाह हो रहा है उसके लोग वास्तव में अपने पड़ोसियों को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाना चाहते हैं पर उन्हें इस बात का एहसास नहीं हो पाता कि वे दूसरे लोगों की सुविधा का विचार किए बिना ऐसा कार्य कर रहे हैं। कभी-कभी यदि कोई व्यक्ति आपत्ति करता है तो भी परवाह नहीं करते। परंतु वास्तव में घर के बाहर लाउडस्पीकर लगाने की कोई आवश्यकता ही नहीं है। घर में उपस्थित सभी अतिथि उसके बिना भी संगीत सुन सकते हैं।
जब हम रेलगाड़ियों में यात्रा करते हैं तब हमें अक्सर दूसरे लोगों की सुविधा का विचार ना होने के उदाहरण मिल जाते हैं। यहां एक उदाहरण प्रस्तुत हैं। कुछ यात्री सोने का प्रयास कर रहे हैं। सहसा दो तीन व्यक्ति जो सो नहीं सकते या अभी सोना नहीं चाहते राजनीति में रुचि लेते हैं और भारत की विदेश नीति पर जोर जोर से तर्क करने लगते हैं तथा घंटों तक इस मुद्दे पर बहस करते रहते हैं। अन्य यात्री जो उस समय भारत की विदेश नीति के बजाय अपने सोने में अधिक रुचि रखते हैं पूरी बहस को सुनने और जागते रहने के लिए बाध्य हो जाते हैं।
वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति इस प्रकार का व्यवहार नहीं करता है। कुछ उदाहरण इससे अलग हटकर भी देखने को मिलते हैं। बस में कभी-कभी हमें यह देख कर खुशी होती है कि एक युवक अपनी बैठने की जगह एक वृद्ध को या अपनी गोद में बच्चे को लेकर बस में आई एक स्त्री को दे देता है। जब रेल गाड़ी में बैठा हुआ एक व्यक्ति अपने समीप बैठे हुए व्यक्तियों की ओर मुड़ता है और उनसे पूछता है, क्या मैं सिगरेट पी सकता हूं? इसका मतलब है कि वह व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की सुविधा का ध्यान रख रहा है। जब रात के समय दो मोटर चालक विपरीत दिशाओं से आते हुए अपनी गाड़ियों के प्रकाश को धीमा कर लेते हैं तो वे एक दूसरे के सहायक बन जाते हैं। इस प्रकार के सब कार्यों में हम अपने थोड़ी सी स्वतंत्रता और सुविधा का त्याग कर देते हैं, ताकि दूसरे लोग अपनी स्वतंत्र और सुविधा का प्रयोग कर सके और सभी के लिए जीवन सरल हो जाए।
ऐसे कोई नियम नहीं है, जो हमें यह बताएं कि हमें सभी मामलों में किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए या नहीं करना चाहिए। परंतु कुछ नियम ऐसे हैं, जिनका पालन सभी को करना चाहिए। उदाहरण के लिए, सड़क पर चलने के नियम। इन नियमों का उद्देश्य सड़क को सभी के लिए सुरक्षित बनाना है। आजकल हमारे नगरों और कस्बों की सड़कों पर यातायात के कारण बहुत अधिक भीड़ होती जा रही है। दिन के अधिकांश भाग में कुछ धीमी और कुछ तेज चलने वाली सब प्रकार के वाहनों से सरके भरी रहती हैं। यदि लोग यातायात के नियमों का पालन ना करें तो देर सवेर दुर्घटनाएं हो ही जाती है। पैदल चलने वाले और मोटर गाड़ियों ,दोनों के लिए नियम है और सड़क का प्रयोग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को इन नियमों को जाना आवश्यक है।
पैदल चलने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण नियम यह है कि उनको फुटपाथ पर चलना चाहिए और सड़क के मध्य भाग को वाहनों के लिए छोड़ देना चाहिए। जहां फुटपाथ नहीं है वहां पैदल चलने वालों को सड़क के बिल्कुल किनारे चलना चाहिए। यदि वे इस नियम का पालन नहीं करेंगे तो वे अपने और दूसरों के लिए खतरा बन सकते हैं। किसी पैदल चलने वाले को बचाने के लिए चालक अपने वाहन को अचानक मोड़ सकता है जिससे किसी दूसरे को टक्कर लग सकती है वह अपने वाहन पर संतुलन खो सकता है और वह उसको फुटपाथ पर ले जा सकता है जहां वह अनेक लोगों को टक्कर मारकर गिरा सकता है।
सभी वाहनों को बाई ओर चलना चाहिए और सड़क के आधे दाएं भाग को दूसरी दिशा से आने वाले वाहनों के लिए छोड़ देना चाहिए। भारत के सभी भागों में यातायात का यही नियम है पश्चिम के कुछ देशों में वाहनों को बाई और ना चला कर दाएंओर चलाया जाता है। दाएं या बाएं ओर से कोई अंतर नहीं पड़ता पर प्रत्येक व्यक्ति को नियम का पालन करना चाहिए। साइकिल चालक को सदैव सड़क के किनारे चलना चाहिए और दूसरे वाहन या पैदल चलने वालों के रास्ते में नहीं आना चाहिए हम अक्सर दो या अधिक साइकिल चालकों को साथ-साथ सड़क के बीच में चलते हुए देखते हैं। यातायात के नियम इस बात की अनुमति नहीं देते हैं। जहां सड़क पर भीड़ होती है वहां इसमें यातायात में बाधा पड़ेगी और दुर्घटनाएं घटित होगी। आगे जा रहे वाहन से आगे निकलने का नियम भी उतना ही महत्वपूर्ण है जो वाहन दूसरे वाहन से आगे निकलना चाहती है उसे केवल दाईं ओर से ही जाना चाहिए अन्यथा वह उस वाहन के रास्ते में आ सकती है जो बाई और रहने का प्रयास कर रहा है।
जहां सड़क एक दूसरे को काटती हैं वहां मार्ग के अधिकार के बारे में भी नियम है। ऐसे स्थानों पर आमतौर पर एक गोल चक्कर होता है। जो वाहन दाई ओर से आ रहा है उसे बाई ओर से आने वाले वाहनों से पहले मार्ग पाने का अधिकार है। यदि प्रत्येक चालक इस नियम का पालन करें तो गोल चक्कर पर यातायात बिल्कुल सरल होगा और दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा।
वाहन चालको को ठीक से संकेत देने में कभी नहीं चूकना चाहिए क्योंकि ऐसा ना करने से दुर्घटनाओं के होने का खतरा रहता है। दाएं या बाएं ओर मुड़ने के लिए रफ्तार को धीमा करने और रुकने के लिए तथा दूसरे वाहन को अपने वाहन से आगे जाने देने के लिए भी संकेत है। साइकिल चालक बहुदा संकेत देने के बारे में लापरवाह होते हैं क्योंकि उनके विचार से यह संकेत केवल मोटर चालकों के लिए महत्वपूर्ण है। परंतु सड़क का प्रयोग करने वाले सभी लोगों को चाहे वे साइकिल चालक हो अथवा मोटर चालक, सही संकेत देने चाहिए ताकि सड़क पर चलने वाले अन्य लोग सचेत हो जाएं । पैदल चलने वालों को भी इन संकेतों का ज्ञान होना चाहिए ताकि वह जान सके कि सड़क पर चलने वाला वाहन किस ओर जाने वाला है।
सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि सार्वजनिक सड़क का प्रयोग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को यातायात नियंत्रण कार्य पर तैनात पुलिसकर्मी के निर्देशों का पालन करना चाहिए। यह समस्त नियमों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण नियम है। थोड़ी देर के लिए इस बात की कल्पना कीजिए कि यदि कोई पुलिसकर्मी ड्यूटी पर ना हो तो पैदल चलने वालों और तेज गति से चलने वाले वाहनों से भरी सड़क पर क्या? होगा आप शीघ्र ही अनुभव करेंगे कि पुलिसकर्मी का कार्य कितना महत्वपूर्ण है और तब आप उसकी आज्ञा का सदैव पालन करेंगे और उससे कभी भी अप्रसन्न नहीं होंगे भले ही आप के अनुसार वह गलत है और आप ठीक हैं।
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete